बहुत कठिन है डगर पनघट की

www.hamarivani.com शुरू हो गई है चुनाव चहल पहल। अमेठी में आप के नेता और कवि कुमार विश्वास को वहां की जनता सिखा रही है राजनीति की एबीसीडी। यहां कुमार विश्वास की कविता खुद उन्हीं पर फिट बैठ रही है। कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है। विश्वास जी टीवी पर बोलना, मंचों पर वाहवाही बटोरना और गांव की गलियों में लोगों से मुद्दे की बात करना बहुत कठिन है। इधर मुंबई में एनसीपी वालों आप कार्यालय पर बवाल काट दिया।
दिल्ली में जो किया है आप की सरकार ने वह भी पीछा छोड़ने वाला नहीं है। कोई बिजली का बिल लिए घूम रहा है तो किसी को पानी माफिया फिर सताने लगे हैं। हर कदम पर मुसीबत हैं।
अब तो आप भी मान ही गए होगे कि बहुत कठिन है डगर पनघट की।

शनिवार, 8 मार्च 2014

दिल्ली ही नहीं गुजरात में भी लोग साथ आए.


क्या गुल खिलाता है ये जन सैलाब वक्त बताएगा। इस बात के लिए अरविंद जी को शुभकामना और धन्यवाद कि बहुत कम समय में राजनीति को काफी बदला है। साफ भी किया और जनपक्षधर भी बनाया।
बापूhamarivaniनगर ( अहमदाबाद) गुजरात मे अरविंद जी की जनसभा..........

गुरुवार, 6 मार्च 2014

क्यों डर रही है भाजपा और कांग्रेस

www.blogvarta.comwww.hamarivani.comकुछ तो बात है कि झाड़ू पार्टी का हर जगह स्वागत हो रहा है चाहे अमेठी हो या गुजरात। स्वागत भी फूल माला नहीं लाठी डंडों और मुकदमों की लड़ी से। आखिर सब क्यों डरे हुए हैं इस नई बच्चों की पार्टी से।

बुधवार, 5 मार्च 2014

हिन्‍दी के सर्वाधिक चर्चित ब्‍लॉग : Popular Hindi Blogs, Best Indian (Hindi) Blogs | मेरी दुनिया मेरे सपने

हिन्‍दी के सर्वाधिक चर्चित ब्‍लॉग : Popular Hindi Blogs, Best Indian (Hindi) Blogs | मेरी दुनिया मेरे सपने

हड़ताल पर हैं धरती के भगवान

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बहुत पहले की बात है जब गुरु को भगवान से उंचा स्थान प्राप्त था और चिकित्सकों को धरती के भगवान का स्थान दिया जाता था। आज स्थिति अलग हो गई है। गुरु की गरिमा इतनी गिरी है कि कोई सम्मान पाने के लिए इस ओर नहीं जाना चाहता सिर्फ ऊंची तनख्वाह ही लोगों को शिक्षण की ओर ले जाती है। ये व्यवसायी करण की देन है और इसी व्यवसायीकरण के कारण ही धरती के भगवान यानी कि डाक्टर भी हैवानियत की ओर बढ़ रहे हैं। जो हालात हैं उसके मद्देनजर हैवानियत कोई अनुतित शब्द नहीं है। हां यहां पर हम यह जरूर कहेंगे कि सभी ऐसे नहीं हैं। 60 फीसदी इंसान ही हैं और दस फीसदी अभी भी भगवान की तरह काम करते हैं। लेकिन 30 प्रतिशत डाक्टर और जो अभी पूरे डाक्टर नहीं बने हैं मेरा मतलब मेडिकल कालेजों में अपनी पढ़ाई कर रहे मेडिकल छात्रों और जूनियर डाक्टरों से है उनमें जो नई फौज आ रही है वो साठ फीसदी हैवानियत वाले कारनामे दिखा रहे हैं। हम सिर्फ यूपी की बात कर रहे हैं। यहां मेडिकल कालेज में आज डाक्टर बन रहे छात्रों की मानो मानवीय संवेदनाएं मर गई हैं या वे उन्हें सर उठाने नहीं दे रहे।
सबसे पहले गोरखपुर मेडिकल कालेज का एक वाकया। गोरखपुर में पत्रकारों से किसी मामले को लेकर विवाद हुआ। विवाद बढ़ा तो जूनियर डाक्टर और मेडिकल छात्रों ने मिलकर पत्रकारों और किसी मरीज के तीमारदारों को जमकर धुना। दोनों ओर से एफआईआर हुई। धरना प्रदर्शन और हड़ातल की लंबी लड़ाई चली। जिसके पास पैसा था वह तो प्राइवेट सेक्टर में चला गया। मारे गए गरीब जिन्हें मेडिकल कालेज में इलाज नहीं मिला।
वहीं का एक और मामला बिजली विभाग ने बिल न जमा होने पर मेडिकल छात्रों के एक हास्टल की बिजली काट दी। गुस्साए छात्रों ने पहले कालेज और फिर हास्पिटल की बिजली काट दी और मरीजों को बाहर कर दिया। जिसने विरोध किया उसकी पिटाई।
मेरठ मेडिकल कालेज में पिछले महीने एक मरीज के तीमारदारों से शुरू हुए विवाद के बाद जूनियर डाक्टरों ने कवरेज कर रहे पत्रकारों और पुलिसकर्मियों को धुन दिया। कई दिन हड़ताल की तमाम मरीजों के परिजन जो आए थे किसी और का इलाज कराने पिटकर खुद दूसरे अस्पताल में भर्ती हो गए।
अब कानपुर का मामला। कहीं किसी एक व्यक्ति या समूह ने गलती की। भुगत रहा है पूरा प्रदेश। मंगलवार तक हड़ताल के कारण प्रदेश में मरने वालों की संख्या 14 पार कर गई थी।
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ठीक है लाखों रुपये देकर जो डाक्टर बना है वो फ्री में सेवा नहीं कर सकता मगर डाक्टरों को पैसे कमाने के लिए पात्र तो तलाशने ही होंगे। लोग हाइपर हो रहे हैं तो जाहिर हैं डाक्टर भी होंगे। डाक्टरों का कहना है सपा नेता के लोगों ने मारा। उनकी लड़ाई ठीक होती अगर वो सिस्टम से होती। उनकी हड़ताल भी ठीक है अगर वे उसमें अपने मानवीय पक्ष को शामिल करते।
समाज डाक्टरों के बारे में सोचे इससे पहले उन्हें खुद सोचना चाहिए कि अगर उन्हें सिर्फ एक थप्पड़ या एक डंडा लगने से प्रदेश भर की व्यवस्था भंग कर दे रहे हैं तो उसे क्या करना चाहिए जो अपने मां, बाप या भाई बहनों को अपनी आंखों के सामने इलाज न मिल पाने के कारण मरते हुए देखने को विवश हो रहा है।
 अब तक पुलिस आतंकवादी बनाती रही है मगर यही हाल रहा तो आने वाले वक्त में डाक्टरों के कारण भी लोग आतंकवादी बनेंगे।


सोमवार, 3 मार्च 2014

क्या क्या करे कोर्ट

भड़काऊ भाषण देते रहो नेता जी। कोर्ट नहीं रोकेगी लेकिन याद रखना पहले सब भूल जाने वाली जनता अब सब याद रखती है। शायद तभी कांग्रेस चार राज्यों से गायब हो गई। कोई बात नहीं मोदी जी बदल दें देश का इतिहास। कोई बात नहीं कांग्रेसी खिला दें लोगों को पांच रुपये में भर पेट खाना। न बताओ कैसे किया है अंबानी से समझौता। क्यों सारे दिन पसीना बहाने वाले कर्मचारी बच्चों की जरूरतें पूरी नहीं कर पा रहे। किसान को अपनी उपज का पैसा क्यों नहीं मिल रहा जबकि रेलों मे सफर न करने के बाद भी किराया सरकार जब्त कर ले रही है।


शनिवार, 1 मार्च 2014

खबरिया चैनलों से अपील

लोकसभा चुनाव की अभी तारीख तय नहीं हुई है। मगर पार्टियों का चुनाव अभियान जोरशोर से चल रहा है। सभी दल अपनी जीत को लेकर आश्वस्त से दिख रहे हैं या ऐसा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। वोटर अच्छी सरकार तो चाहते हैं मगर वोट डालते समय याद रहता है सिर्फ धर्म, जाति और क्षेत्र। याद रहता है कौन सा प्रत्याशी किसके छोटे छोटे काम करा सकता है। कौन उसके सुख -दुख में हाजिरी लगाने आएगा। कौन बनवा देगा राशन कार्ड, कौन दिला देगा ठेके। 
हमारी सभी चैनलों दलों और संस्थाओं से यह अपील है कि लोगों को इस बात के लिए प्रेरित करें कि वे अपराधी और अराजक प्रत्याशियों का विरोध करें। धनबल और बाहुबल को रोेकें। 
चैनलों से अपील है कि वे ऐसे आयोजन करें कि राहुल, मोदी एके समेत बड़े नेता सीधे लाइव बहस में शामिल हों और रखें देश को आगे ले जाने के तरीके। स्पष्ट करें नीतियां। लोग दलों के नेताओं से सीधे पूछ सकें कि आपकी पार्टी में कैसे अपराधी शामिल होकर संसद तक पहुंच रहे हैं। जो नेता उल्टे सीधे बयान दे रहे हैं उन्हें क्यों नहीं रोकते। भ्रष्टाचारी क्या कर रहे हैैं आपके दल में।
ऐसे आयोजन एक दो नहीं दर्जनों होंगे तो शायद नेताओं को आए शर्म या लगे उन्हें कि हमें भी जवाब देना पड़ सकता है। 

झाड़ू यात्रा

शहीदे आजम भगत सिंह और साथियों को अंडमान जेल में रखे जाने की जानकारी रखने वाले मोदी को उनकी जानकारी के लिए सलाम। यह पहला मौका नहीं है जब उन्होंने नया इतिहास गढ़ा हो। आमतौर पर बड़े लोगों के भाषण तैयार करने के लिए टीम होती है जो काफी ठोंक बजाकर तय करती है कि नेताजी को कहां क्या कहना है। अफसोस कि भाजपा जैसी राष्ट्रीय पार्टी में ऐसा भाषण तैयार किया जा रहा है।
कांग्रेस के लोग भी कम नहीं है अक्सर उसके नेता लोगों की बातें चर्चा में रहती हैं। वैसे हाल के दिनों में राहुल के नौ रत्नों में शामिल सलमान दौड़ में दिग्गी से आगे नजर आ रहे हैं।
सब संस्थाएं और सारा मीडिया अपील करते नहीं थक रहा कि वोट दो मगर किसे दें वोट कहां करें वोट से चोट जब सभी हैं एक सी गंदगी में लोटपोट।
पिछले दिनों इस शून्यता को भरने का दावा करते हुए आप का उदय हुआ। इस उदय को उदय कहें या नहीं इस पर भी मन किसी ठोस निर्णय पर नहीं पहुंच पा रहा।
कहीं लोकसभा में भी दिल्ली विधानसभा का हाल न नुमाया हो जाय।
बताओ दोस्तों क्या किया जाय कि आनेवाली सरकार देश में निरंकुश न हो, नेता अपराधी और भ्रष्टाचार का पोषण करने वाले न हों। कैसे विवश करें नेताओं को कि वे देश के विकास के लिए काम करें अपने और पार्टीजनों के लिए नहीं।  
आप के एके आज झाड़ू यात्रा पर हैं। देखना है उनकी यात्राओं का इंपैक्ट।